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Young India Movement....Love Nation Unite With the World....

Young India Movement

Wednesday, January 25, 2017

गणतंत्र दिवस के अवसर पर एक संक्षिप्त संदेश:

गणतंत्र दिवस के अवसर पर एक संक्षिप्त संदेश:

 हमारे देश में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी बसती है. इनके पास अपार प्रतिभा और क्षमता है. आप हर क्षेत्र में सही और गलत के फर्क को तर्कों और तथ्यों के आईने से समझंे. अपनी प्रतिभा और क्षमता का अपने आस-पास के लोगों, अपने समाज के विकास और देशहित में लगायें. आप इतिहास को पढ़ें, अपने देश के और अन्य देशों के भी. अपनी रीति रिवाजों, परंपराओं, विभिन्न संस्कृतियों और कलाओं को जाने, इन्हें वैज्ञानिक तरीके से समझंे, इनमें हुए परिवर्तनो के इतिहास को जाने, समझे. अपने देश और अन्य देशों की आजादी की लड़ाईयां, क्रान्तिकारी परिर्वतनों, वैज्ञानिक खोजों, विभिन्न विचारों और इसमें योगदान देने वाले नायकों को पढ़ें

Wednesday, January 11, 2017

स्वामी विवेकानन्द की 154 वीं जयंती पर विशेष :

स्वामी विवेकानन्द की 154 वीं जयंती पर विशेष ;
(12 जनवरी 1863 - 4 जुलाई 1902)



स्वामी विवेकानन्द को याद करते हुए एक दिलचसप प्रसंग का जिक्र कर रहा हॅंू......
कलकत्ता में स्वामी जी से कई लोग मिलने आते थे. एक बार एक गोरक्षा मण्डल का प्रचारक उनके पास आया.

प्रचारक: स्वामी जी प्रणाम, यह लिजीए.
स्वाजी जी: क्या है यह ?

Friday, May 27, 2016

दो वर्ष का कार्यकाल ! मोदी सरकार का उल्टा चाल !!

दो वर्ष का कार्यकाल !
मोदी सरकार का उल्टा चाल !!

"सुनिए मन की बात"

हमने ये किया, हमने वो किया,
जो उन्होंने साठ साल में भी नहीं किया,
हम ये करेंगे, हम वो करेंगे,
अगर आप 2019 में भी हमें वोट करेंगे,
हमने सबको रोजगार दिया,
गरीबी, भुखमरी मिटा दी,
महिलाओं को उनका अधिकार दिया.
हर खेत को पानी देकर किसानो को खुशहाल बनाया,
शहर की गलियों से लेकर हर गांव तक पीने का पानी और शौचालय दिया,
हमने कहा था, काला धन लायेंगे, भ्रष्टाचार मिटायेंगे,

Wednesday, April 13, 2016

14 अप्रैल, 2016 को डाॅ0 भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयन्ती :

14 अप्रैल, 2016 को डाॅ0 भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयन्ती है. केन्द्र व राज्य सरकारें, कई राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन और दलित मुद्दों पर काम करने वाले लोग इस अवसर पर अपने-अपने स्तर से कई तरह के आयोजन कर रहें हैं. कुछ लोगों के लिए यह एक अवसर है अंबेडकर के बहाने दलित समाज के प्रति चिन्ता व्यक्त कर खुद को उनका हमदर्द बताने का, कुछ लोगों के लिए दलित विमर्श को आगे बढ़ाने और संविधान निर्माता के नाम पर उनको याद करने का एक मौका. 

वैसे मेरा मानना है कि दलित समस्यायों को दलित चश्मे के बजाय वर्ग दृष्टिकोण से देखने, समझने और हल करने की दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है. अन्यथा यह सिर्फ अंबेडकर जयन्ती दिवस की खानापूर्ती, दलित मुक्ति के नाम पर जातिवादी राजनीति व चिन्तन, मायावती - रामबिलास पासवान और उदित राज जैसे नेताओं के इर्द-गिर्द आरक्षण और कुल मिलाकर वोट बैंक की राजनीति तक सिमट कर रह जाएगा और मूल समस्यायें जस की तस बनी रहेंगे. 

Shashikant Singh.

Tuesday, April 5, 2016

आईए प्रकृति के साथ मिलकर पानी के लिए आत्मनिर्भर बनें, हमें एक जल क्रान्ति की जरूरत है !!

माननीय प्रधानमंत्री जी, पक्ष-विपक्ष के सभी नेतागण, समाचार चैनलों, सभी समाजिक संगठनों और आम लोगों से अपील,

गैर जरूरी मुद्दों पर हो हल्ला बन्द किजीए !
आईए प्रकृति के साथ मिलकर पानी के लिए आत्मनिर्भर बनें, हमें एक जल क्रान्ति की जरूरत है !!

आज महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, राजस्थान, झारखण्ड समेत देश के कई हिस्से में पीने के पानी के लिए हाहाकर मचा है. नौबत यहां तक आई कि महाराष्ट्र के लातूर में लोग पीने के पानी के लिए लड़ें नहीं इसके लिए धारा 144 तक लगा दिया गया. खेती-किसानी के लिए तो पानी का संकट पहले से ही कई राज्यों में है. लेकिन पानी सिर्फ गर्मियों में ही तब मुद्दा बनता है जब संकट अपने चरम पर रहता है और समाधान के नाम पर कुछ खानापूर्ति कर दिया जाता है. लेकिन ऐसी स्थिति में तो यह संकट हर गर्मी के मौसम में और बढ़ता ही जाएगा और कुछ वर्षों में अत्यन्त भयावह रूप ले लेगा. नदियों का जल स्तर कम हो रहा है, वे सूख रहें है, शहर हो या गांव हमारे डैम, तालाब, कुआं, चापानल सूख रहें हैं. एक तरफ पानी के सभी प्राकृतिक साधनो में कमी आ रही है वहीं हम जान-बूझकर पानी के स्रोतों को प्रदूषित भी कर रहें हैं, उसे जहर बना रहें हैं. गंगा की हम पूजा तो करते हैं लेकिन उसकी स्थिति भी सब जानते हैं. शहरों के तालाबों, आस-पास की नदियों में नालियों का पानी और हर तरह का औद्योगिक कचरा बहाया जा रहा है. प्रकृति के साथ मुनाफे के लिए मानवीय खिलवाड़ ने मौसम चक्र को पहले ही इतनी बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है कि जब पानी की जरूरत होती है तो बारिश नहीं होती और जब खेतों में फसल पकती है, पानी की जरूरत नहीं होती है तो बेमौसम बारिश से फसल खराब हो जाती हैं. बाढ़-सूखा का खेल तो चलता ही रहता है.

Monday, February 29, 2016

Union Budget 2016- 17: No Vision for Growth

In the backdrop of global economic slowdown the budget should have increased measures that enhance domestic demand. Instead it chose to continue with the same regressive policies that are contractionary. This would aggravate inequality, unemployment and further contract exports. It would lead to increasing distress in agriculture and the countryside, the collapse of industrial production, the slowdown in construction activities and many services.

Thursday, February 25, 2016

23 मार्च, भारत - पाक एकता दिवस के रूप में मनायें..

.आतंकवाद, साम्राज्यवाद और विभाजनकारी समूहों के विरूद्ध
23 मार्च, भारत - पाक एकता दिवस के रूप में मनायें...


भारत और पाकिस्तान के लोगों से अपील है कि भगत सिंह और उनके साथियों की शहादत दिवस 23 मार्च को आतंकवाद, साम्राज्यवाद और विभाजनकारी समूहों के विरूद्ध भारत-पाक एकता दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए.........................अब यह विचार कुछ लोगों को थोड़ा अटपटा लग सकता है. लेकिन यह एक विचार है, किन्हीं को अच्छा न लगे पर कुछ लोग तो जरूर इस विचार से भी सहमत हो ही सकते हैं. खैर जो भी हो इतना तो सच है कि दोनों ही मुल्कों की सरकारों ने भले ही भगत सिंह और उनके विचारों को अब तक हासिए पर रखने की कोशिशें की हों लेकिन जनमानस के दिलों से अलग नहीं कर पाये हैं. ऐसे में भगत सिंह को हम दोनों मुल्कों के लोगों के बीच एकता की एक कड़ी के रूप में देखने का प्रयास कर सकते हैं.