Blogger Tips And Tricks|Latest Tips For Bloggers Free Backlinks
Young India Movement....Love Nation Unite With the World....

Young India Movement

Tuesday, January 19, 2016

मैं एक लेखक बनना चाहता था लेकिन सिर्फ यह पत्र लिख पाया

पढ़िये आत्महत्या से पहले रोहित ने क्या लिखा.....

गुड मॉर्निंग
गुड मॉर्निंग
जब आप यह पत्र पढ़ रहे होंगे तो मैं आपके बीच नहीं रहुंगा। मेरे उपर गुस्सा ना हों आप। मैं जानता हूं कि आपमें से कई लोगों ने मेरा सच में बहुत खयाल रखा है, प्यार किया है और मेरी हमेशा मदद की। मेरी किसी से भी कोई शिकायत नहीं है। मुझे हमेशा से खुद से समस्या थी। मैं अपने शरीर और आत्मा के बीच बढ़ती दूरी को महसूस करता हूं और मैं एक शैतान बन गया हूं। मैं हमेशा से ही एक लेखक बनना चाहता था। विज्ञान का लेखक, कार्ल्स सेगन की तरह। लेकिन अंत मैं सिर्फ ये पत्र ही लिख पाया।

मैं विज्ञान, तारों, प्रकृति से बहुत प्यार करता था लेकिन इसके बाद मैंने लोगों से प्यार करना शुरु किया, बिना ये जाने कि लोगों ने प्रकृति से बहुत पहले ही तलाक ले लिया है। हमारी भावनायें दोयम दर्जे की हैं। हमारा प्रेम बनावटी है, हमारी मान्यताएं झूठी हैं, हमारी मौलिकता वैध है बस कृत्रिम कला के जरिए यह बेहद कठिन हो गया है कि हम प्रेम करें और दुखी न हों।

इंसान की उपयोगिता उसकी तत्कालीन पहचान तक सिमट कर रह गयी है और उसे नजदीकी संभावना तक ही ही सीमित कर दिया गया है। एक वोट तक, एक आदमी महज एक आंकड़ा बन गया है, महज एक वस्तु, आदमी को कभी भी उसके दिमाग के हिसाब से नहीं आंका गया। एक ऐसी चीज़ जो स्टारडस्ट से बनी थी, हर क्षेत्र में, अध्ययन में, गलियों में, राजनीति में, मरने में और जीने में।

मैं इस तरह का पत्र पहली बार लिख रहा हूं। ''पहली बार मैं आखिरी पत्र लिख रहा हूं'', मुझे माफ कर दीजिएगा अगर मेरी बातों का कोई मतलब नहीं निकले। ''मेरा जन्म एक घातक हादसा था, मैं अपने बचपन के अकेलेपन से कभी भी बाहर नहीं निकल सका'', अपने बचपन के छुद्रपन से। हो सकता है कि मैं गलत हूं, पूरी तरह से, दुनिया को समझने में। प्यार, दर्द, जीवन, मृत्यु को समझने में। इसकी कोई जल्दबाजी नहीं थी। लेकिन मैं हमेशा हड़बड़ी में था। जिंदगी को शुरु करने के लिए अतिसाहसिक। इन सबके बीच कुछ लोगों के लिए लिए जीवन एक अभिषाप था।

इस समय मैं आहत नहीं हूं, मैं दुखी नहीं हूं, मैं सिर्फ खाली हूं। अपने बारे में बिल्कुल उदासीन। यह दयनीय है और इसलिए मैं ऐसा कर रहा हूं। लोग मुझे कायर कह सकते हैं, स्वार्थी या पागल कह सकते हैं जब मैं चला जाउं तो। लेकिन इस बात को लेकर मैं बिल्कुल भी चिंतित नहीं हूं कि लोग मेरे जाने के बाद मुझे क्या कहेंगे। मैं मृत्यु के बाद की कहानियों में विश्वास नहीं करता, भूत और आत्मा। अगर कुछ भी ऐसा है जिसपर मैं भरोसा करता हूं, वह है कि मैं सितारों की सैर करुंगा औऱ दूसरी दुनिया के बारे में जानुंगा।

अगर आप जो इस पत्र को पढ़ रहे हैं मेरे लिए कुछ भी कर सकते हैं तो मुझे 7 महीने की फेलोशिप मिलनी है। एक लाख पचहत्तर हजार रुपए। कृपया इसे देखें और इसे मेरे परिवार को दिलवा दें। मुझे रामजी को भी 40 हजार रुपए देने हैं। उसने कभी इस पैसे को वापस नहीं मांगा लेकिन कृपया उसे ये जरूर फेलोशिप के पैसों में से दे दें। मेरे अंतिम संस्कार को शांतिपूर्वक होने दें। ऐसा व्यवहार करें जैसे मैं आया और चला गया। मेरे लिए आंसूं नहीं बहाये। इस बात को समझने की कोशिश करिये कि मैं जीने से ज्यादा मरने में खुश हूं।

उमा अन्ना, इस काम के लिए तुम्हारा कमरा चुनने के लिए मांफी चाहता हूं। अंबेडकर स्टुडेंड एसोसिएशन परिवार, मांफी चाहता हूं आप सबको निराश करने के लिए। आपने मुझे बहुत प्यार दिया। मैं आपके बेहतर भविष्य की कामना करता हूं।
एक और आखिरी बार
जय भीम

मैं औपचारिकतायें लिखना भूल गया। मेरी आत्महत्या के लिए कोई भी जिम्मेदार नहीं है। किसी ने मुझे इसके लिए उकसाया नहीं है, ना ही किसी कृत्य या शब्द से। यह मेरा फैसला है और इसके लिए सिर्फ मैं जिम्मेदार हूं। मेरे दोस्तों और दुश्मनों को इसके लिए परेशान नहीं किया जाए जब मैं चला जाउं तो।

No comments:

Post a Comment