We stand for judicious and balanced economic development in agrarian, industrial, infrastructural and social sectors raising the standard of living of the people...
"कुत्ते" अपने विषय और अंदाज़-ए-बयान के
लिहाज़ से उर्दू की चन्द बेहतरीन नज्मों में शुमार होती है-कुत्ते को
प्रतीक बना कर कमज़ोर इंसानों की नियति बयान करना और इन्हीं कमज़ोर इंसानों
में इंक़िलाब की चिंगारी तलाश करना और इस ख़याल को खूबसूरत शायरी में ढाल
देना फ़ैज़ जैसे अज़ीम कलमकार का ही कारनामा हो सकता है.
ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते कि बख्शा गया जिनको ज़ौक-ए-गदाई ज़माने की फटकार सरमाया इनका जहाँ भर की दुत्कार इनकी कमाई
न आराम शब् को न राहत सवेरे गलाज़त में घर गंदगी में बसेरे जो बिगड़ें तो इक दूसरे से लड़ा दो ज़रा एक रोटी का टुकड़ा दिखा दो ये हर एक की ठोकरें खाने वाले ये फ़ाकों से उकता के मर जाने वाले
ये मज़लूम मख्लूक़ गर सर उठाए तो इंसान सब सरकशी भूल जाए ये चाहें तो दुनिया को अपना बना लें ये आक़ाओं कि हड्डियाँ तक चबा लें कोई इनको एहसास-ए-ज़िल्लत दिला दे कोई इनकी सोई हुई दम हिला दे
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