.आतंकवाद, साम्राज्यवाद और विभाजनकारी समूहों के विरूद्ध
23 मार्च, भारत - पाक एकता दिवस के रूप में मनायें...
23 मार्च, भारत - पाक एकता दिवस के रूप में मनायें...
भारत और पाकिस्तान के लोगों से अपील है कि भगत सिंह और उनके साथियों की शहादत दिवस 23 मार्च को आतंकवाद, साम्राज्यवाद और विभाजनकारी समूहों के विरूद्ध भारत-पाक एकता दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए.........................अब यह विचार कुछ लोगों को थोड़ा अटपटा लग सकता है. लेकिन यह एक विचार है, किन्हीं को अच्छा न लगे पर कुछ लोग तो जरूर इस विचार से भी सहमत हो ही सकते हैं. खैर जो भी हो इतना तो सच है कि दोनों ही मुल्कों की सरकारों ने भले ही भगत सिंह और उनके विचारों को अब तक हासिए पर रखने की कोशिशें की हों लेकिन जनमानस के दिलों से अलग नहीं कर पाये हैं. ऐसे में भगत सिंह को हम दोनों मुल्कों के लोगों के बीच एकता की एक कड़ी के रूप में देखने का प्रयास कर सकते हैं.
भगत सिंह और उनके साथियों द्वारा साम्राज्यवाद के विरूद्ध संघर्ष में दी गई शहादत दोनों मुल्कों की आजादी और बेहतरी के लिए थी. आज दोनों ही मुल्क साम्राज्यवादियों द्वारा पोषित आतंकवाद से त्रस्त है. आतंकवादी और विभाजनकारी ताकते लगातार दोनों मुल्कों को अस्थिर करने का प्रयास करते रहे हैं. ये खंूखार आतंकवादी गिरोह मध्यपूर्व एशिया की चुनी हुई सरकारों को हटाकर ना सिर्फ उन इलाकों को तबाह और लाखों लोगांे को विस्थापित कर रहें हैं बल्कि साम्राज्यवादी ताकतों द्वारा वहां के संसाधनों की लूट के लिए रास्ता भी बना रहें हैं. चाहे आईएसआईएसआई हो या फिर अल कायदा, तालिबान या लश्कर, ये आतंकवादी गिरोह भारत- पाक जैसे देशों को भी आपस में लड़वाकर इन्हें अस्थिर करना चाहते हैं ताकि इन्हें भी साम्राज्यवादी ताकतों का चारागाह बनाया जा सके.
यह गंभीर चिन्ता और चुनौती का विषय है कि देश में बढ़ती भीषण आर्थिक गैर बराबरी, गहराते आर्थिक मंदी, महंगाई, भ्रष्टाचार, औद्योगिक घरानों द्वारा देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको का 1 लाख 14 करोड़ रूपया डकार जाना, किसानों की आत्महत्यायें जैसे मुद्दों पर चुप रहने वाले लोग अचानक पाकिस्तान का नाम लेते ही राष्ट्रवादी हो जाते हैं. राष्ट्रवाद की रक्षा के नाम पर भीड़ को तिरंगा पकड़ाकर उन्हें भेड़िया बना दिया जाता है. वहीं पाकिस्तान में भारत- आस्ट्रेलिया क्रिकेट मैच में भारत की जीत पर तिरंगा लहराने मात्र से एक युवक को जेल जाना पड़ता है. लड़कियों की शिक्षा की पैरोकार मलाला को आतंक की गोली का शिकार होना पड़ता है और स्कूल में पढ़ रहे मासूमों को गोलियों से भून दिया जाता है. मानवता के दुश्मन दोनों ही ओर हर रोज मानवता का कत्ल कर अपने विभाजनकारी मंसूबों को लागू करने का काम कर रही है.
पाकिस्तान के विरोध पर टिका हमारा राष्ट्रवाद हो या भारत विरोध पर टिका पाकिस्तानी राष्ट्रवाद दोनों ही लोकतंत्र के लिए घातक और घोर गरीब विरोधी है ? आज दोनों ही मुल्क के लोग आतंकवाद के साथ ही भ्रष्टाचार, भीषण आर्थिक गैर - बराबरी, गरीबी, अशिक्षा को झेल रहें हैं जो हमारे विकास में बाधक हैं. यदि इन मुद्दों को हल करने की दिशा में साझा संकल्प और संघर्ष का रास्ता अपनाया जाय तो हम ना सिर्फ एक बेहतर पड़ोसी बन सकते हैं बल्कि एक विश्व शक्ति के रूप में भी उभर सकते हैं...............हमारी संस्कृतियां, भाषा, खान-पान, रहन-सहन, जीवन का हर एक पहलू एक दूसरे से कुछ न कुछ मेल खाता है. दोनों ही मुल्कों के लिए जरूरी है कि हम अपने बीच के रिस्ते और विकास के रास्ते पर आतंकवाद और विभाजनकारी ताकतों को हावी न होने दे और ना ही एक दूसरे के नफरत पर खड़े किसी छद्म राष्ट्रवाद को ही यह तय करने की इजाजत दें कि हमारे रिस्ते कैसे हों ?
इसलिए आईए, साम्राज्यवाद के विरूद्ध संघर्ष में अपने मुल्क की आजादी, बेहतरी, अमन और शांति का सपना देखने वाले शहीद भगत सिंह और उनके साथियों की शहादत दिवस 23 मार्च को हम दोनों मुल्कों के अमन पसन्द लोग आतंकवाद, साम्राज्यवाद और विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ भारत-पाक एकता दिवस के रूप में मनाकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दें.
यह गंभीर चिन्ता और चुनौती का विषय है कि देश में बढ़ती भीषण आर्थिक गैर बराबरी, गहराते आर्थिक मंदी, महंगाई, भ्रष्टाचार, औद्योगिक घरानों द्वारा देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको का 1 लाख 14 करोड़ रूपया डकार जाना, किसानों की आत्महत्यायें जैसे मुद्दों पर चुप रहने वाले लोग अचानक पाकिस्तान का नाम लेते ही राष्ट्रवादी हो जाते हैं. राष्ट्रवाद की रक्षा के नाम पर भीड़ को तिरंगा पकड़ाकर उन्हें भेड़िया बना दिया जाता है. वहीं पाकिस्तान में भारत- आस्ट्रेलिया क्रिकेट मैच में भारत की जीत पर तिरंगा लहराने मात्र से एक युवक को जेल जाना पड़ता है. लड़कियों की शिक्षा की पैरोकार मलाला को आतंक की गोली का शिकार होना पड़ता है और स्कूल में पढ़ रहे मासूमों को गोलियों से भून दिया जाता है. मानवता के दुश्मन दोनों ही ओर हर रोज मानवता का कत्ल कर अपने विभाजनकारी मंसूबों को लागू करने का काम कर रही है.
पाकिस्तान के विरोध पर टिका हमारा राष्ट्रवाद हो या भारत विरोध पर टिका पाकिस्तानी राष्ट्रवाद दोनों ही लोकतंत्र के लिए घातक और घोर गरीब विरोधी है ? आज दोनों ही मुल्क के लोग आतंकवाद के साथ ही भ्रष्टाचार, भीषण आर्थिक गैर - बराबरी, गरीबी, अशिक्षा को झेल रहें हैं जो हमारे विकास में बाधक हैं. यदि इन मुद्दों को हल करने की दिशा में साझा संकल्प और संघर्ष का रास्ता अपनाया जाय तो हम ना सिर्फ एक बेहतर पड़ोसी बन सकते हैं बल्कि एक विश्व शक्ति के रूप में भी उभर सकते हैं...............हमारी संस्कृतियां, भाषा, खान-पान, रहन-सहन, जीवन का हर एक पहलू एक दूसरे से कुछ न कुछ मेल खाता है. दोनों ही मुल्कों के लिए जरूरी है कि हम अपने बीच के रिस्ते और विकास के रास्ते पर आतंकवाद और विभाजनकारी ताकतों को हावी न होने दे और ना ही एक दूसरे के नफरत पर खड़े किसी छद्म राष्ट्रवाद को ही यह तय करने की इजाजत दें कि हमारे रिस्ते कैसे हों ?
इसलिए आईए, साम्राज्यवाद के विरूद्ध संघर्ष में अपने मुल्क की आजादी, बेहतरी, अमन और शांति का सपना देखने वाले शहीद भगत सिंह और उनके साथियों की शहादत दिवस 23 मार्च को हम दोनों मुल्कों के अमन पसन्द लोग आतंकवाद, साम्राज्यवाद और विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ भारत-पाक एकता दिवस के रूप में मनाकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दें.
Shashikant Singh.
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